उत्तर प्रदेश के संभल जिले में एक बार फिर पुरातत्व विभाग (ASI) की टीम सक्रिय हुई है। इस बार खुदाई का केंद्र कल्कि विष्णु मंदिर और कृष्ण कूप है। यह खुदाई क्षेत्र में ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व को समझने के लिए की जा रही है।
कृष्ण कूप का महत्व
कृष्ण कूप को स्थानीय और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान कृष्ण के समय से जुड़ा माना जाता है। कहा जाता है कि यह स्थान महाभारत काल के अनेक रहस्यों को समेटे हुए है। विशेषज्ञों का मानना है कि कूप की खुदाई से ऐतिहासिक साक्ष्य मिलने की संभावना है, जो इस क्षेत्र की प्राचीनता और पौराणिकता को प्रमाणित कर सकते हैं।
कल्कि विष्णु मंदिर का इतिहास
कल्कि विष्णु मंदिर संभल का प्रमुख धार्मिक स्थल है। हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, यह वह स्थान है जहां भगवान विष्णु का अंतिम अवतार कल्कि प्रकट होंगे। इस मंदिर से जुड़ी पुरानी मूर्तियां, शिलालेख और अन्य अवशेष क्षेत्र के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व को बढ़ाते हैं।
खुदाई का उद्देश्य
ASI की टीम का उद्देश्य है:
- प्राचीन अवशेषों को संरक्षित करना।
- क्षेत्र के ऐतिहासिक महत्व को समझना।
- पुरातत्व और धार्मिक इतिहास का अध्ययन करना।
स्थानीय प्रतिक्रिया
खुदाई के कार्य को लेकर स्थानीय लोग बेहद उत्साहित हैं। उनका मानना है कि इससे संभल को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पहचान मिलेगी। साथ ही, यह धार्मिक और पर्यटन की दृष्टि से क्षेत्र के विकास में सहायक होगा।
निष्कर्ष
संभल में कल्कि विष्णु मंदिर और कृष्ण कूप की खुदाई से इतिहास और पौराणिकता के नए पहलू सामने आ सकते हैं। ASI की यह पहल देश के ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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